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Reliance And Adani Groups Eye Big Business In China, 15 Points

Delhi


अंबानी और अडानी क्यों चीनी कंपनियों की ओर देख रहे हैं?

  1. भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में गिरावट आई है – अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है और व्यापार वार्ता अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है।

  2. इस पृष्ठभूमि में भारत की बड़ी कंपनियाँ (रिलायंस, अडानी ग्रुप, JSW) अब चीन से सहयोग की संभावनाएँ तलाश रही हैं।

  3. भारत-चीन के बीच राजनीतिक अविश्वास और सैन्य तनाव के बावजूद, भारतीय कॉरपोरेट्स चीनी कंपनियों से नई साझेदारी की दिशा में बढ़ रहे हैं।

  4. चूँकि भारत सरकार ने चीनी निवेश पर प्रतिबंध लगाए हैं, भारतीय कंपनियाँ अब अप्रत्यक्ष तरीकों से चीनी कंपनियों से जुड़ने का रास्ता तलाश रही हैं।


गौतम अडानी और BYD की संभावित साझेदारी

  1. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, गौतम अडानी ने हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी निर्माता CATL का दौरा किया।

  2. उन्होंने चीन की EV दिग्गज कंपनी BYD Co. के वरिष्ठ अधिकारियों से भी बातचीत की।

  3. संभावना है कि अडानी ग्रुप EV सेक्टर में प्रवेश करने के लिए BYD से हाथ मिला सकता है।


JSW और रिलायंस की रणनीति

  1. JSW ग्रुप ने पहले ही Chery Automobile के साथ करार किया है, जिससे उसे नई ऊर्जा (New Energy) वेंचर के लिए तकनीक और पार्ट्स मिलेंगे।

  2. रिलायंस इंडस्ट्रीज फ्यूल सेल और बैटरी बिजनेस में विस्तार की योजना बना रही है।

  3. इसके लिए रिलायंस चीनी मूल की बैटरी टेक्नोलॉजी कंपनियों में निवेश पर विचार कर रही है।


भारतीय कंपनियाँ चीनी कंपनियों में क्यों रुचि ले रही हैं?

  1. भारत और चीन दोनों ही अमेरिका की नीतिगत अनिश्चितताओं के शिकार हैं, इसलिए वे आपसी सहयोग के रास्ते तलाश रहे हैं।

  2. चीनी कंपनियों की ओवरसीज़ सब्सिडियरीज़ (सिंगापुर, वियतनाम, हांगकांग में) भारतीय कंपनियों को आकर्षक प्रोत्साहन (sops) दे रही हैं।

  3. ये सब्सिडियरीज़ तकनीक का ट्रांसफर तीसरे देशों के जरिए करती हैं, जिससे राजनीतिक जाँच से बचा जा सके।

  4. अमेरिकी कंपनियाँ तकनीक ट्रांसफर करने में अनिच्छुक होती हैं और अधिकतर केवल अपने उत्पाद बेचना चाहती हैं।

  5. इसके विपरीत, चीनी कंपनियाँ तकनीकी सहयोग देने को तैयार हैं, जिससे भारतीय कंपनियाँ लाभ उठाना चाहती हैं।


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