Make In India Products Worth $161 Billion Can Go To China, How? 24 Points

Delhi
चीन के साथ भारत का $161 अरब का अप्रयुक्त निर्यात अवसर
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अध्ययन का नाम – “Calibrating India’s Economic Engagement Strategy with China Amidst the Changing Geopolitical Landscape” (ICRIER द्वारा)।
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भारत-चीन व्यापार स्थिति (2024-25):
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भारत का आयात: $113.5 अरब
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भारत का निर्यात: $14.3 अरब
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व्यापार घाटा: $99.2 अरब (रिकॉर्ड स्तर)
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FDI स्थिति: पिछले दशक में चीन से मात्र $886 मिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया।
अध्ययन में उठाए गए तीन प्रमुख प्रश्न
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भारत चीन को अपने निर्यात को कैसे बढ़ा और विविधीकृत कर सकता है?
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भारत चीन पर आयात निर्भरता कैसे कम कर सकता है?
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उपयुक्त सुरक्षा उपायों के साथ चीन से FDI को कैसे बढ़ाया जा सकता है?
भारत का अप्रयुक्त निर्यात अवसर
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भारत का अप्रयुक्त निर्यात अवसर: $161 अरब (वर्तमान निर्यात का लगभग 10 गुना)।
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इसमें 74% हिस्सा मध्यम और उच्च-तकनीकी क्षेत्रों का है।
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वर्तमान निर्यात मुख्यतः प्राथमिक और संसाधन-आधारित क्षेत्रों तक सीमित है।
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उच्च संभावनाओं वाले निर्यात उत्पाद: टेलीफोन सेट, विमान, टर्बोजेट, मोटर वाहन पार्ट्स, फोटो-सेमीकंडक्टर डिवाइस आदि।
निर्यात बाधाएँ और समाधान
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बड़े निर्यात अवसरों का लाभ टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाओं (NTBs) के कारण सीमित रहा है।
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सुझाव:
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भारत-चीन को संयुक्त टास्क फोर्स बनानी चाहिए।
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पारदर्शिता बढ़ाने, फेयर टेस्टिंग और WTO-अनुपालन संचार पर जोर देना चाहिए।
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भारत को अपने गुणवत्ता मानकों को अपग्रेड करना होगा ताकि प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़े और व्यापार प्रतिबंधों की मार कम हो।
आयात पर निर्भरता और रणनीति
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भारत की चीन पर भारी निर्भरता मुख्यतः इंटरमीडिएट और कैपिटल गुड्स में है।
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पूर्ण रूप से डिकपलिंग अवास्तविक है, क्योंकि चीन ग्लोबल वैल्यू चेन में गहराई से जुड़ा है।
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सुझाव:
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भारत को PLI स्कीम के तहत टारगेटेड चीनी FDI आकर्षित करना चाहिए।
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विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स में निवेश से घरेलू क्षमता, सप्लाई चेन और तकनीक हस्तांतरण मजबूत होगा।
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वैकल्पिक आपूर्ति और प्रतिस्पर्धा
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भारत को अप्रतिस्पर्धी आयातों को कम करना चाहिए।
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विकल्प: वियतनाम, दक्षिण कोरिया, UAE जैसे सस्ते और प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ताओं से आयात बढ़ाना।
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भारत के अप्रतिस्पर्धी आयात लगभग $30 अरब हैं, जिनमें मुख्यतः मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और केमिकल्स आते हैं।
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ये आयात शीर्ष 50 उत्पादों के कुल मूल्य का लगभग दो-तिहाई हिस्सा हैं।
FDI नीति और आगे की राह
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भारत को प्रेस नोट 3 (जो पड़ोसी देशों से FDI पर सरकारी स्वीकृति अनिवार्य करता है) की समीक्षा करनी चाहिए।
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सुझाव:
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संवेदनशील क्षेत्रों में FDI पर प्रतिबंध रहे।
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गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में मजबूत सुरक्षा उपायों के साथ निवेश प्रोत्साहित किया जाए।
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एक केंद्रीय अंतर-एजेंसी समिति बनाई जाए जो FDI अनुमोदन को सरल बनाए और सुरक्षा जोखिमों को प्रबंधित करे।
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भारत-चीन के बीच 2013-2019 के बीच हुए MoUs जैसे तंत्र को फिर से सक्रिय करना चाहिए ताकि संवाद और सहयोग के लिए नियमित और संस्थागत रास्ते बने।