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टेक इंडस्ट्री के लिए यह आत्ममंथन का समय है, क्योंकि कैंपस से बड़े पैमाने पर हायरिंग का सुनहरा दौर लगभग समाप्त हो गया है।
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पूरी दुनिया में AI के प्रभाव को लेकर चिंताओं के बीच ग्लोबल टेक सेक्टर एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है, जिससे निराशा और अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
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आजकल छंटनी की ख़बरें मौसम अपडेट्स की तरह रोज़ाना मीडिया में देखने को मिल रही हैं और बढ़ती संख्या के कारण इंडस्ट्री के भविष्य को लेकर आशंका बढ़ रही है।
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छंटनी के लिए AI को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता इससे अधिक जटिल है।
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उभरते AI टूल्स कुछ नौकरियों को जरूर खत्म कर रहे हैं, लेकिन साथ ही कई नई नौकरियां भी तैयार कर रहे हैं।
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वे कर्मचारी अधिक डिमांड में होंगे जो AI का उपयोग कर इनोवेशन और नए प्रोडक्ट/सर्विस तैयार करने में कंपनियों की मदद कर सकते हैं।
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मौजूदा व्यापक पुनर्गठन की वजह धीमी रेवेन्यू ग्रोथ, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और AI को तेजी से अपनाना है, जो पारंपरिक नौकरियों को बदल रहा है।
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बड़ी और छोटी सभी टेक कंपनियां इस बदलाव को महसूस कर रही हैं, क्योंकि काम की सीमाएं नए सिरे से तय हो रही हैं।
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TCS द्वारा अगले कुछ वर्षों में 12,000 कर्मचारियों को निकालने की घोषणा इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा चेतावनी संकेत है।
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TCS ने 2024 में 50 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया और यह भारत की GDP में लगभग 7% का योगदान देती है, इसलिए इसका असर बहुत बड़ा हो सकता है।
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अनुमान के अनुसार जनवरी 2024 से अब तक लगभग एक लाख टेक कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं।
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इनमें से 72% छंटनियां अमेरिकी कंपनियों द्वारा की गई हैं।
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Microsoft, Google, Amazon और IBM जैसी ग्लोबल कंपनियों ने हजारों नौकरियों में कटौती की है।
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Satya Nadella ने कहा कि छंटनी उनके लिए “भारी” है, लेकिन इसे AI युग के लिए कंपनी के मिशन को पुनः परिभाषित करने का अवसर भी बताया।
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TCS के CEO ने कहा कि उनकी कंपनी में छंटनी “स्किल मिसमैच” के कारण है, लेकिन AI के बढ़ते प्रभाव के कारण आगे और भी जॉब कट्स की आशंका बनी हुई है।
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जनवरी से जुलाई 2024 के बीच 169 टेक कंपनियों ने 85,000 से ज्यादा कर्मचारियों को निकाला।
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कई कंपनियां अच्छी कमाई के बावजूद कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, ताकि AI के लिए खुद को अधिक “efficient” दिखा सकें।
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AI तकनीक के कारण कंपनियां यह सोच रही हैं कि काम किस तरह से किया जाएगा और यह भविष्य में उनके लिए नई ग्रोथ ला सकता है।
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चुनौती यह है कि कर्मचारियों की संख्या को संतुलित रखते हुए AI को भी जगह देनी है और AI के लिए डेटा सेंटर व चिप्स जैसी चीजों में भारी निवेश को उचित ठहराना है।
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AI टूल्स अब IT सेक्टर में नई भर्तियों के लिए आवश्यक अधिकांश काम खुद कर सकते हैं, इसलिए अब हर साल हजारों छात्रों की भर्ती की ज़रूरत कम हो जाएगी।
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हालांकि AI को बेरोजगारी का मुख्य दोषी बताना सही नहीं होगा, क्योंकि कई विशेषज्ञों के अनुसार बड़ी छंटनियों से बची हुई पूंजी को AI में निवेश किया जा रहा है।
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पारंपरिक टेक रोल्स कम हो रहे हैं, लेकिन AI की वजह से नई भूमिकाएं बन रही हैं, जहां डोमेन एक्सपर्टीज़ के साथ AI-फ्लुएंसी जरूरी होगी।
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मार्केटिंग, HR, फाइनेंस और एजुकेशन जैसे क्षेत्रों में ऐसी प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ रही है जो AI टूल्स का इस्तेमाल कर बिज़नेस वैल्यू ला सकें।
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2022 से गैर-टेक रोल्स में Generative AI स्किल्स की मांग 800% तक बढ़ गई है।
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इंडियन IT कंपनियां पिछले कई दशकों से कम लागत वाले इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स पर निर्भर रहीं, लेकिन R&D और प्रोडक्ट डेवलपमेंट में निवेश कम हुआ।
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इस कारण भारत से कोई बड़ा ग्लोबल इनोवेशन नहीं आ पाया और अब यह बिज़नेस मॉडल संकट का सामना कर रहा है।
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आज AI टूल्स इतने सक्षम हो चुके हैं कि वे नॉलेज वर्क को भी रिप्लेस कर रहे हैं और सर्विस इंडस्ट्री को बाधित कर रहे हैं – यही वर्तमान स्थिति का मुख्य कारण है।