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नटराजन चंद्रशेखरन की कहानी – 19 बिंदु

  1. नटराजन चंद्रशेखरन (चंद्रा) का नाम सुनते ही चमक-दमक भरी लाइफ़स्टाइल नहीं, बल्कि एक सादा, कम बोलने वाले और ज़्यादा करने वाले व्यवसायी की छवि सामने आती है।

  2. उनकी जीवन कहानी किसी बॉलीवुड स्क्रिप्ट से कम नहीं – एक साधारण किसान परिवार से निकलकर भारत की सबसे बड़ी बिज़नेस एम्पायर चलाने तक का सफर।

  3. चंद्रा का जन्म 1963 में तमिलनाडु के नामक्कल जिले के मोहनूर नामक गाँव में हुआ।

  4. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले चंद्रा को बचपन से ही टेक्नोलॉजी में रुचि थी।

  5. उन्होंने कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अप्लाइड साइंसेज़ की पढ़ाई की और उसके बाद REC (तिरुचिरापल्ली) से MCA किया।

  6. 1987 में उन्होंने इंटर्न के रूप में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) जॉइन की।

  7. अपनी मेहनत और नेतृत्व क्षमता के दम पर वे धीरे-धीरे ऊपर बढ़ते गए।

  8. 2007 में वे COO बने और 2009 में CEO – टाटा कंपनी के इतिहास में इतनी कम उम्र में इस पद पर पहुंचने वाले सबसे कम लोगों में से एक।

  9. उनके नेतृत्व में TCS विश्व की प्रमुख आईटी कंपनियों में शामिल हुई।

  10. 2017 में, टाटा सन्स में नेतृत्व संकट के बाद, उन्हें चेयरमैन बनाया गया – टाटा परिवार से बाहर के पहले व्यक्ति।

  11. 2017 से 2022 के बीच टाटा ग्रुप की आय 6.37 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 9.44 लाख करोड़ रुपये हो गई और मुनाफा दोगुना होकर 64,000 करोड़ रुपये से भी अधिक पहुंच गया।

  12. उन्होंने एलेक्ट्रिक वाहनों, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और वैश्विक प्रासंगिकता पर जोर देकर टाटा ग्रुप को भविष्य के लिए तैयार किया।

  13. 2019 में उनका वेतन 65 करोड़ रुपये था, जो FY22 में बढ़कर 109 करोड़ और FY24 में लगभग 135.3 करोड़ रुपये तक पहुंच गया – जिससे वे भारत के सबसे अधिक वेतन पाने वाले एग्जीक्यूटिव बन गए।

  14. 2022 में उन्होंने दक्षिण मुंबई के ‘33 साउथ’ बिल्डिंग में 98 करोड़ रुपये का 6,000 स्क्वायर फीट वाला डुप्लेक्स खरीदा – वही अपार्टमेंट जिसे वे पिछले 5 वर्षों से किराए पर ले रहे थे।

  15. व्यक्तिगत जीवन में वे बेहद साधारण और ज़मीन से जुड़े माने जाते हैं। उनकी पत्नी का नाम ललिता है और उनके बेटे का नाम प्रणव है।

  16. उन्होंने अपनी संपत्ति स्वयं बनाई है – अनुमानित नेट वर्थ लगभग 100 मिलियन USD (लगभग 855 करोड़ रुपये)।

  17. रतन टाटा और चंद्रा के बीच गहरा विश्वास और साझा मूल्य हैं। यही वजह है कि रतन टाटा ने उन्हें टाटा सन्स का चेयरमैन चुना।

  18. उनकी यात्रा यह संदेश देती है कि परिस्थिति नहीं, बल्कि मेहनत और मूल्य इंसान की नियति तय करते हैं।

  19. उन्होंने दिखाया कि विनम्रता और मूल्यों के साथ महत्वाकांक्षा हो, तो एक गाँव की मिट्टी से उठकर मुंबई की ग्लास टावर्स तक पहुँचना संभव है।

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