Airport Lounge: Who’s Paying For Your Free Dine? 12 Points

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एयरपोर्ट लाउंज: मुफ्त क्यों लगते हैं और असल में पैसा कौन देता है?
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एयरपोर्ट लाउंज का आकर्षण
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यात्रियों को शांति, मुफ्त खाना-पीना, रिक्लाइनर, वाई-फाई, चार्जिंग पॉइंट्स और कभी-कभी स्पा/स्लीपिंग पॉड जैसी सुविधाएँ मिलती हैं।
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दिखता है “फ्री”, लेकिन सवाल है—खर्च कौन उठाता है?
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डेटा एनालिस्ट सूरज कुमार तलरेजा की व्याख्या
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ज़्यादातर लोग कार्ड (क्रेडिट/डेबिट) स्वाइप करके प्रवेश करते हैं।
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यात्री से सीधा पैसा नहीं लिया जाता, लेकिन बैंक या नेटवर्क (Visa/Mastercard/Amex) लाउंज ऑपरेटर को भुगतान करते हैं।
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यह बैंक के लॉयल्टी और कस्टमर-एक्विज़िशन कॉस्ट का हिस्सा होता है।
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प्रति विज़िट लागत
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भारत में: ₹600 से ₹1,200 प्रति विज़िट (डोमेस्टिक लाउंज)।
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अंतरराष्ट्रीय: $25 से $35 प्रति विज़िट (Priority Pass, LoungeKey आदि के ज़रिए)।
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लाउंज कैसे कमाते हैं?
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बैंकों से प्रति विज़िट भुगतान।
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बड़ी संख्या में कार्ड उपयोगकर्ताओं से वॉल्यूम।
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कैटरिंग/एयरपोर्ट पार्टनरशिप से लागत कम करना।
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कुछ यात्रियों को डायरेक्ट पेड-एंट्री पास बेचना (₹1,500–₹3,000)।
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लाउंज एक्सेस के चार प्रमुख रास्ते
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क्रेडिट और डेबिट कार्ड टाई-अप (सबसे लोकप्रिय)।
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इंटरनेशनल नेटवर्क्स (Priority Pass, DreamFolks आदि)।
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डायरेक्ट पेड एंट्री।
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बिज़नेस/फर्स्ट क्लास टिकट।
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बैंक क्यों चाहते हैं कि आप लाउंज जाएँ?
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लाउंज एक्सेस = प्रिविलेज का अनुभव।
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ग्राहक कार्ड ज़्यादा इस्तेमाल करता है → बैंक को ट्रांज़ैक्शन फीस मिलती है।
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ग्राहक कार्ड से जुड़ा रहता है या प्रीमियम कार्ड में अपग्रेड करता है।
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मनोविज्ञान + अर्थशास्त्र = ब्रांड लॉयल्टी।
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अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क्स की भूमिका
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खुद लाउंज नहीं चलाते।
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बैंक को बड़े पैमाने पर एक्सेस बेचते हैं और फिर लाउंज ऑपरेटर को भुगतान करते हैं।
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भारत में बूम और भीड़ की समस्या
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अब लगभग हर दूसरे यात्री के पास कार्ड है → भीड़ ज़्यादा।
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दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु एयरपोर्ट्स पर ओवरक्राउडिंग।
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नई पाबंदियाँ (बैंकों की ओर से)
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साल में केवल 4 मुफ्त विज़िट (प्रति तिमाही)।
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सप्लीमेंट्री कार्डधारकों पर रोक।
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केवल डोमेस्टिक टर्मिनल एंट्री।
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गेस्ट एंट्री पर रोक।
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कार्ड इनएक्टिव होने पर लाउंज एक्सेस बंद।
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प्रीमियम कार्ड (HDFC Infinia, Axis Reserve, Amex Platinum, ICICI Emeralde) अभी भी अनलिमिटेड/इंटरनेशनल विज़िट देते हैं।
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क्या लाउंज अब भी फ़ायदेमंद हैं?
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एयरपोर्ट रेस्तरां की तुलना में ₹500–₹1,000 की बचत।
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वाई-फाई, एसी, चार्जिंग, साफ़ टॉयलेट्स, कभी-कभी बेड और शॉवर।
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लेकिन कुछ यात्रियों के लिए भीड़ और नियमों के कारण अनुभव खराब।
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मॉडल का फायदा किसे?
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यात्री = आराम और बचत।
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बैंक = लॉयल्टी और फीस।
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लाउंज = स्थिर आय।
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एयरपोर्ट = भीड़ प्रबंधन।
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निष्कर्ष
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यात्रियों को “फ्री” लगता है, लेकिन असल में बैंक और नेटवर्क पूरा खर्च उठाते हैं।
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हर कार्ड स्वाइप इस संतुलित बिज़नेस मॉडल का हिस्सा है।
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