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Maruti Suzuki e-Vitara: A New Chapter Of Make-in-India, 11 Points

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क्यों Maruti Suzuki e-Vitara एक महत्वपूर्ण Make-in-India माइलस्टोन है

  1. ऐतिहासिक शुरुआत – भारत के प्रधानमंत्री ने Maruti Suzuki e-Vitara की पहली यूनिट को फ़्लैग-ऑफ़ किया, जो गुजरात के हंसलपुर प्लांट से बनी है। पहली यूनिट UK को एक्सपोर्ट होगी और यह 100 देशों में भेजी जाएगी।

  2. वैश्विक EV केंद्र – 2025 में Bharat Mobility Global Expo (नई दिल्ली) में e-Vitara के अनावरण के बाद, भारत Suzuki की वैश्विक BEV (Battery Electric Vehicle) योजनाओं का केंद्र बन गया।

  3. सही रणनीति – Suzuki ने EV बाज़ार में देर से प्रवेश करने के बावजूद, एक born-electric platform तैयार किया जिसे शुरू से ही जापान और यूरोप जैसे वैश्विक बाज़ारों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया।

  4. अन्य कंपनियों से बढ़त – जब Tata Motors और Mahindra अभी तक UK और यूरोप में EV एक्सपोर्ट की तैयारी कर रहे हैं, Suzuki ने भारत की EV क्षमता पर भरोसा जताते हुए सीधे वैश्विक एक्सपोर्ट की घोषणा की।

  5. साझेदारी वाला प्लेटफ़ॉर्म – e-Vitara का प्लेटफ़ॉर्म Suzuki, Toyota और Daihatsu की साझेदारी से बना है।

    • Suzuki ने इसका नेतृत्व किया।

    • Skateboard architecture, e-axle और battery integration तीनों कंपनियों का संयुक्त योगदान है।

    • डिज़ाइन, फीचर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स Suzuki द्वारा विकसित किए गए हैं।

  6. वेरिएंट्स – e-Vitara दो बैटरी विकल्पों (49 kWh और 61 kWh) में आएगी, FWD और AWD (AllGrip टेक्नोलॉजी) कॉन्फ़िगरेशन के साथ।

    • Toyota भी इसी प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी Urban Cruiser EV बेचेगी।

  7. वैश्विक सुरक्षा मानक – Toyota ने यह सुनिश्चित किया कि प्लेटफ़ॉर्म EuroNCAP, ASEAN NCAP और जापानी क्रैश मानकों पर खरा उतरे, जिससे इसकी वैश्विक एक्सपोर्ट क्षमता बनी।

  8. बैटरी और इलेक्ट्रोड

    • Hansalpur प्लांट में हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड का स्थानीय उत्पादन हो रहा है, जो भारत की बैटरी सप्लाई चेन को मज़बूत करेगा।

    • हालांकि, बैटरी सेल पैक अभी भी चीन की BYD कंपनी से आयात किए जाएंगे, जिनकी Blade LFP बैटरी विश्व प्रसिद्ध है।

  9. स्थानीय इलेक्ट्रोड निर्माण का महत्व

    • बैटरी के cathode और anode लेयर्स (जो चार्जिंग-डिस्चार्जिंग के दौरान लिथियम आयन को स्टोर और रिलीज़ करते हैं) अब भारत में बनने लगे हैं।

    • यह सप्लाई चेन पर चीन की निर्भरता कम करने की दिशा में बड़ा कदम है।

  10. चुनौतियाँ

  • अभी तक अधिकांश इलेक्ट्रोड चीन से आयात होते रहे हैं।

  • चीन की उत्पादन क्षमता और सस्ती कीमतें भारतीय निर्माताओं के लिए चुनौती बनी हुई हैं।

  • सप्लाई चेन की “लॉक-इन” प्रकृति (एक बार किसी सप्लायर से जुड़ने के बाद 6 साल तक उसी पर निर्भरता) भी कठिनाई पैदा करती है।

  1. भविष्य की संभावना

  • यदि भारत में इलेक्ट्रोड का उत्पादन बड़े स्तर पर होने लगे, तो बैटरी निर्माता कैथोड और एनोड यहीं से ले पाएंगे।

  • इससे देश की EV सप्लाई चेन और भी मज़बूत होगी, भले ही अभी बैटरी सेल का स्थानीय निर्माण दूर की संभावना है।


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