35% investment = 8% growth, This is for India, 20 points

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संसद की स्थायी वित्त समिति ने 19 अगस्त 2025 को 8% आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निवेश दर को वर्तमान 31% से बढ़ाकर 35% करने की सिफारिश की।
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समिति ने ऊर्जा नीतियों को किफायती और कुशल बनाए रखते हुए उन्हें विकासोन्मुख एवं सतत् बनाने पर जोर दिया, ताकि जलवायु लक्ष्यों और आर्थिक-सामाजिक उद्देश्यों के बीच संतुलन बना रहे।
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समिति ने विद्युत मंत्रालय और CEA से पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (PSPs) के विकास में तेजी लाने को कहा, ताकि ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो और आयात निर्भरता कम हो।
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रिपोर्ट में कहा गया कि निवेश दर 35% तक बढ़ाए बिना अगले दस वर्षों तक 8% वार्षिक वृद्धि हासिल करना मुश्किल होगा।
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समिति ने चेतावनी दी कि इसके लिए अधिक वित्तीय संसाधनों की जरूरत होगी, जिससे चालू खाता घाटा (CAD) बढ़ सकता है; इसीलिए घरेलू आधारित विकास और विनियमन में कमी आवश्यक है।
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समिति ने कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाली डि-रेगुलेशन टास्क फोर्स की सराहना की और कहा कि यह मॉडल सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है तथा व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाता है।
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अत्यधिक ऋणी राज्यों के लिए विशेष वित्तीय सुधारों को प्रोत्साहित करने की बात कही गई, ताकि वे बुनियादी ढांचा और सामाजिक विकास में निवेश जारी रख सकें।
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कृषि क्षेत्र को समावेशी विकास का बड़ा स्रोत मानते हुए, समिति ने त्वरित एवं लंबी अवधि के दोहरा सुधार दृष्टिकोण अपनाने की सिफारिश की।
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अल्पकालिक स्थिरता के लिए सरकार द्वारा बफ़र स्टॉक बनाए रखने, बाजार आपूर्ति नियंत्रित करने और आवश्यक खाद्य पदार्थों पर सब्सिडी देने की रणनीति को प्रभावी बताया।
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उत्पादकता बढ़ाने और वित्तीय समावेशन के लिए भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण और एग्री-स्टैक जैसी डिजिटल पहलों को तेज़ी से लागू करने की सिफारिश की, जिससे फसल ऋण पारदर्शी व समय पर वितरित हो सकें।
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युवाओं को डेटा संग्रहण में प्रशिक्षित कर इन डिजिटल विधाओं को पूरे देश में लागू करने का सुझाव दिया गया, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
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फसल विविधीकरण, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और एग्री-टेक नवाचार में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की बात कही गई।
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समिति के अनुसार, इन उपायों से आपूर्ति पक्षीय मुद्रास्फीति कम होगी, किसानों की आय बढ़ेगी और कृषि क्षेत्र विकास का इंजन बन सकेगा।
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वैश्विक व्यापार परिवेश में संरक्षणवाद और भू-राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए, भारत को “आत्मनिर्भर भारत” के सिद्धांत के तहत इस अवसर का लाभ उठाने की जरूरत है।
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समिति ने सरकारी वित्त को मजबूत बनाने और पूंजीगत व्यय की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा, साथ ही शासन में AI और डेटा की बढ़ती भूमिका को भी स्वीकार किया।
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सकारात्मक कॉर्पोरेट आय के बावजूद, समिति ने लोगों में निवेश (उच्च वेतन, रि-स्किलिंग, मानसिक स्वास्थ्य सहायता) को उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
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समिति ने सुझाव दिया कि आर्थिक रोडमैप केवल 5 ट्रिलियन डॉलर की अल्पकालिक अर्थव्यवस्था तक सीमित न हो, बल्कि स्थायी और समावेशी दीर्घकालिक वृद्धि पर केंद्रित हो।
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इस लक्ष्य के लिए नवाचार, कौशल विकास, और मज़बूत सरकारी वित्त समेत बहु-आयामी रणनीति अपनाने की सलाह दी।
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समिति ने डेटा सुरक्षा और नीतिगत उपयोग के लिए स्वदेशी, सरकारी स्वामित्व वाले AI सर्वर की स्थापना का भी सुझाव दिया।
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ग्रामीण और शहरी बुनियादी ढांचे, MSMEs और महिला उद्यमियों के लिए मजबूत समर्थन, संतुलित ऊर्जा नीति और मूल्य स्थिरता को आत्मनिर्भर भारत हेतु आवश्यक बताया।