EV Charging Station: India और rest of World में क्या है अंतर, detailed analysis

New Delhi:
जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) दुनिया भर में परिवहन प्रणाली को बदल रहे हैं, उनकी सफलता प्रभावी, सुरक्षित और संगत चार्जिंग प्रणालियों पर निर्भर करती है। ईवी की बढ़ती पारिस्थितिकी तंत्र में चार्जिंग मानक इसका केंद्रीय हिस्सा हैं। ईवी चार्जिंग मानक तकनीकी प्रोटोकॉल, पावर स्तर, कनेक्टर प्रकार और संचार विधियों को परिभाषित करते हैं, जिनके माध्यम से विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में ईवी को प्रभावी और सुरक्षित तरीके से चार्ज किया जाता है। ये मानक ईवी और चार्जिंग सिस्टम के बीच संगतता को बढ़ावा देने, रेंज की चिंता को कम करने और अंततः ईवी को बड़े पैमाने पर अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक हैं। निर्माता, फ्लीट मैनेजर, नीति निर्माता, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता और आम जनता के लिए इन मानकों को समझना निवेश के निर्णय, भविष्य-उन्मुख उत्पाद डिज़ाइन और निर्बाध इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को समर्थन देने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
ईवी चार्जिंग मानक क्या हैं?
ईवी चार्जिंग मानक तकनीकी विनिर्देशों का एक समूह होते हैं जो परिभाषित करते हैं कि ईवी और चार्जिंग स्टेशन के बीच किस प्रकार से इंटरैक्शन होता है। इसमें शामिल हैं:
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कनेक्टर के प्रकार (प्लग और जैक)
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चार्जिंग मोड (एसी या डीसी)
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वाहन और चार्जिंग उपकरण के बीच संचार प्रोटोकॉल
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सुरक्षा आवश्यकताएँ
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पावर ट्रांसफर और वोल्टेज आवश्यकताएँ
ये मानक यह सुनिश्चित करते हैं कि विभिन्न निर्माताओं के ईवी सार्वजनिक और निजी चार्जिंग साइट्स पर सुरक्षित रूप से चार्ज हो सकें।
वैश्विक चार्जिंग मानक
दुनिया भर में ईवी उद्योग ने कई प्रमुख चार्जिंग मानकों को अपनाया है:
1. एसी चार्जिंग:
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टाइप 1 (SAE J1772): उत्तर अमेरिका और जापान में उपयोग।
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टाइप 2 (IEC 62196-2): यूरोप में मानक रूप से उपयोग, जिसे Mennekes कहा जाता है।
2. डीसी फास्ट चार्जिंग:
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CCS (Combined Charging System):
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CCS1: उत्तर अमेरिका
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CCS2: यूरोप व अधिकांश अन्य देश
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CHAdeMO:
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जापान में विकसित
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अब घटते उपयोग में
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GB/T:
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चीन का राष्ट्रीय चार्जिंग मानक (एसी और डीसी दोनों के लिए)
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NACS (Tesla):
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टेस्ला का उत्तर अमेरिकी प्रोप्रायटरी कनेक्टर, जिसे अब Ford और GM जैसे निर्माता भी अपना रहे हैं।
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भारत के लिए विशिष्ट चार्जिंग मानक
भारत ने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार स्थानीय लेकिन वैश्विक रूप से संगत मानक विकसित किए हैं:
1. भारत ईवी विनिर्देश (Bharat EV Specs):
भारत सरकार द्वारा विकसित ये मानक देश के विविध वाहनों, बिजली की स्थितियों और किफायती दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। ये FAME II जैसे नीति कार्यक्रमों के अनुरूप हैं।
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a. भारत AC001:
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प्रकार: धीमी एसी चार्जिंग
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आउटपुट: प्रति कनेक्टर 3.3 kW (3 कनेक्टर प्रति यूनिट)
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वोल्टेज: 230V, सिंगल फेज
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लक्ष्य वाहन: इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर
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विशेषताएँ: RFID प्रमाणीकरण, CAN संचार, सस्ता निर्माण
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उपयोग: सार्वजनिक चार्जिंग, फ्लीट उपयोग
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b. भारत DC001:
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प्रकार: डीसी फास्ट चार्जिंग
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आउटपुट: 15 kW तक (72–200V DC, 120A)
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लक्ष्य वाहन: ई-रिक्शा, तीन पहिया वाहन और छोटे ईवी
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कनेक्टर: कस्टम डिज़ाइन (CHAdeMO या CCS नहीं)
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विशेषताएँ: भारतीय ग्रिड के अनुसार किफायती
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2. वैश्विक संगतता:
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CCS2: चार-पहिया वाहनों के लिए हाई-वोल्टेज चार्जिंग हेतु अनिवार्य
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CHAdeMO: पुराने वाहनों की संगतता हेतु
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Type 2 AC: लेवल 2 चार्जिंग के लिए
ऊर्जा मंत्रालय ने मल्टी-प्रोटोकॉल चार्जर की अनुमति दी है जिससे इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित हो सके।
संचार प्रोटोकॉल: डिजिटल रीढ़
ईवी और चार्जर सॉफ्टवेयर प्रोटोकॉल के माध्यम से संचार करते हैं:
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IEC 61851: सामान्य चार्जिंग प्रणाली के लिए
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IEC 62196: कनेक्टर डिज़ाइन विनिर्देश
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ISO 15118: प्लग-एंड-चार्ज और V2G (वाहन-से-ग्रिड) सपोर्ट
ये प्रोटोकॉल पावर डिमांड, बैटरी की स्थिति, प्रमाणीकरण और बिलिंग जैसी जानकारी साझा करते हैं।
चार्जिंग मानक क्यों महत्वपूर्ण हैं?
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ओईएम: स्थानीय चार्जिंग नेटवर्क से संगतता सुनिश्चित करने के लिए
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सप्लायर: मानकों के अनुरूप पुर्ज़े देने हेतु
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फ्लीट: स्केलेबल और मानकीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता
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उपभोक्ता: सुविधा, गति और सुरक्षा की तलाश में
भारत की चुनौतियाँ और समाधान
1. उच्च तापमान की समस्या:
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बैटरी की कार्यक्षमता कम होना
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चार्जर के इलेक्ट्रॉनिक्स में खराबी
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केबल ओवरहीटिंग
समाधान:
AC001 और DC001 में हीट-प्रतिरोधी डिज़ाइन, थर्मल मैनेजमेंट और मजबूत सामग्री का उपयोग किया गया है।
2. ग्रिड में वोल्टेज में उतार-चढ़ाव:
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वोल्टेज में वृद्धि या गिरावट
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पावर आउटेज
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असंगत फेजिंग
समाधान:
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सर्ज प्रोटेक्शन और वोल्टेज रेगुलेशन
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रियल-टाइम डायग्नोस्टिक्स
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ओन-बोर्ड फ्लक्चुएशन डिटेक्शन
3. विभिन्न प्रकार के वाहन:
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2W, 3W, 4W और बसें
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अलग-अलग बैटरी आकार और चार्जिंग ज़रूरतें
समाधान:
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AC001: 2W और 3W के लिए
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DC001: छोटे वाणिज्यिक EVs के लिए
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CCS2 और GB/T: 4W और बसों के लिए
4. किफायती चार्जिंग विकल्प:
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AC001: 3×3.3kW आउटलेट, सस्ते IEC कनेक्टर
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DC001: 15kW DC चार्जिंग, GB/T कनेक्टर
5. मल्टी-स्टैंडर्ड चार्जर के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी:
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REIL, NTPC, टाटा पावर, Fortum जैसे साझेदार
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चार्जर जो Bharat DC001, CCS2 और GB/T/CHAdeMO को सपोर्ट करें
6. 2W और 3W के लिए किफायती चार्जिंग:
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पब्लिक स्पॉट्स, घर, किराना दुकानों पर AC001 चार्जर
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बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों का समर्थन
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स्मार्ट मीटर चार्जर, सौर ऊर्जा आधारित माइक्रोग्रिड
7. सरकारी योजनाएँ – FAME II और PLI:
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FAME II: AC001/DC001 चार्जर पर पूंजी सब्सिडी
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PLI: बैटरी और चार्जर के लिए घरेलू निर्माण को बढ़ावा
भविष्य की प्रवृत्तियाँ
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अत्यंत तेज़ चार्जिंग (HPC): 350kW तक
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V2G: द्विदिश ऊर्जा हस्तांतरण
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वायरलेस चार्जिंग: SAE J2954 के तहत विकासाधीन
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स्मार्ट चार्जिंग: ग्रिड बैलेंसिंग, डायनामिक प्राइसिंग

भारत अब वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाने की दिशा में कार्य कर रहा है, लेकिन साथ ही स्थानीय आवश्यकताओं और लागत पर भी ध्यान दे रहा है।
निष्कर्ष
चाहे आप निर्माता हों, नीति निर्माता हों या ईवी खरीदार – चार्जिंग मानक इस परिवर्तन का आधार हैं। भारत की स्थानीय नवाचार और वैश्विक प्रोटोकॉल को अपनाने की रणनीति देश को अधिक संगत, प्रभावी और समावेशी ईवी भविष्य की ओर ले जा रही है। जैसे-जैसे भारत अपनी सड़कों को विद्युतीकृत कर रहा है, चार्जिंग मानक इस परिवर्तन की रीढ़ बने रहेंगे।