Global Green Hydrogen: India share – 10% by 2030, 20 points
National Green Hydrogen Mission

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भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक वह वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन मांग का लगभग 10% पूरा करे और एक वैश्विक हब बने।
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FICCI ग्रीन हाइड्रोजन समिट 2025 में केंद्रीय मंत्री श्रीपाद नाइक ने बताया कि 8.62 लाख टन वार्षिक हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता 19 कंपनियों को दी गई है।
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अब तक 5 राज्यों ने अपनी ग्रीन हाइड्रोजन नीतियां जारी कर दी हैं और कई अन्य राज्य इस दिशा में काम कर रहे हैं।
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ये राज्य जमीन आवंटन, पानी की उपलब्धता, नवीकरणीय ऊर्जा पावर बैंकिंग, और हाइड्रोजन हब के विकास के माध्यम से इनोवेशन को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
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100 से अधिक ग्रीन हाइड्रोजन मानक और प्रोटोकॉल अपनाए गए हैं या विकासाधीन हैं ताकि गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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भारत न केवल बड़ा उत्पादक बल्कि एक विश्वसनीय वैश्विक निर्यातक बनना चाहता है। 2030 तक वैश्विक बाजार 100 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक होने की उम्मीद है।
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इसके लिए कई भारतीय कंपनियां वैश्विक साझेदारी कर रही हैं ताकि लागत प्रतिस्पर्धा में बने रहें।
वित्त और नवाचार
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सरकार प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता देने की दिशा में काम कर रही है।
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इसके लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग, ग्रीन बॉन्ड्स और मल्टीलेटरल बैंक सपोर्ट जैसे साधनों का उपयोग किया जाएगा।
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2023 में राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन ₹19,744 करोड़ के प्रारंभिक बजट के साथ शुरू किया गया था।
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ग्रिड इंटीग्रेशन, स्टोरेज, भूमि उपलब्धता और लागत प्रतिस्पर्धा मुख्य चुनौतियाँ हैं, लेकिन इन्हें हल किया जा सकता है।
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सोलर PV, ऑफशोर विंड और इलेक्ट्रोलाइज़र तकनीक में सुधार से ग्रीन हाइड्रोजन की लागत लगातार घट रही है।
मुख्य पहलें
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SIGHT योजना – घटक-I (इलेक्ट्रोलाइज़र मैन्युफैक्चरिंग): 3,000 मेगावाट क्षमता 15 कंपनियों को दी गई।
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SIGHT योजना – घटक-II (ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन): 8.62 लाख टन वार्षिक उत्पादन क्षमता 19 कंपनियों को दी गई।
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इस्पात, परिवहन और शिपिंग जैसे क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं।
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R&D कॉम्पोनेंट के तहत 23 प्रोजेक्ट स्वीकृत किए गए हैं और 100 से अधिक प्रस्ताव मूल्यांकन में हैं।
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ग्रीन हाइड्रोजन परीक्षण सुविधाओं की स्थापना भी की जा रही है, जिनमें से 3 प्रोजेक्ट पहले ही मंजूर हो चुके हैं।
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2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य है, जिसके लिए 125 GW अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
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भारत–EU हाइड्रोजन टास्क फोर्स जल्द गठित होगी, जो रणनीतियों को संरेखित करने और कदमों का समन्वय करने का मंच होगी।
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EU प्रतिनिधि ने कहा कि इस पहल की सफलता तभी होगी जब दोनों पक्षों के व्यवसाय आपस में जुड़कर व्यावसायिक रूप से टिकाऊ साझेदारी बनाएंगे।