Madhya Pradesh agriculture market goes digital, 8 points
Digital wave transforming कृषि मंडी in MP

Bhopal: डिजिटल लहर ने बदले मध्य प्रदेश के कृषि मंडियों के स्वरूप
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ई-मंडी की शुरुआत और विस्तार
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किसानों को मंडी यार्ड में सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर और बिना झंझट देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने ई-मंडी योजना शुरू की।
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2021 में 8 मंडियों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरुआत हुई।
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मंडी बोर्ड के प्रबंध निदेशक कुमार पुरुषोत्तम के नेतृत्व में यह योजना अब पूरे राज्य की 259 मंडियों में लागू हो चुकी है।
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किसानों के लिए फायदे
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मंडी में प्रवेश से लेकर कॉन्ट्रैक्ट, बिक्री, प्रमाणन, लाइसेंस और भुगतान तक की पूरी प्रक्रिया अब डिजिटल।
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किसान तुरंत देख सकते हैं कि उनकी फसल किस व्यापारी ने खरीदी और किस कीमत पर।
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प्रक्रियाएं तेज़, पारदर्शी और सरल हो गई हैं।
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उपलब्धियां
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अब तक 21.34 लाख किसान योजना में पंजीकृत।
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इस पहल को Scotch Order of Merit Award 2023 मिला।
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ई-लाइसेंस सिस्टम
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राज्य के 64,000+ व्यापारी खुद ऑनलाइन गेट पास बनाकर खरीदी गई फसल ले जा सकते हैं।
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मैनुअल लाइसेंस जारी करने की जरूरत लगभग खत्म।
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सभी भुगतान डिजिटल रिकॉर्ड में दर्ज होते हैं, जिससे किसानों को समय पर पैसा मिलता है।
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यह सिस्टम NIC की मदद से बना और फिलहाल देश में सिर्फ मध्य प्रदेश में लागू है।
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अब तक 1.13 करोड़+ लाइसेंस जारी, जिनमें से 94 लाख व्यापारी और 19.52 लाख मंडी अधिकारियों द्वारा बनाए गए।
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MP Farm Gate App
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एंड्रॉयड ऐप जो किसानों को घर, खेत या गोदाम से ही फसल बेचने की सुविधा देता है।
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किसान खुद कीमत तय कर सकते हैं, मंडी जाने की जरूरत नहीं।
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अब तक 6.79 लाख किसान ऐप का उपयोग कर 7.71 करोड़ क्विंटल फसल बेच चुके हैं।
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इससे मंडियों में भीड़ कम हुई और किसानों को ज्यादा विकल्प मिले।
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मंडी ऐप की कार्यप्रणाली
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किसान मंडी आने से पहले ही मोबाइल से एंट्री स्लिप बना सकते हैं।
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एक बार डेटा सेव होने के बाद बार-बार भरने की जरूरत नहीं।
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ऐप पर रियल-टाइम नीलामी अपडेट और बिक्री का विवरण तुरंत दिखता है।
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डिजिटल प्रक्रिया के अन्य लाभ
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नीलामी, तौल और भुगतान पूरी तरह कंप्यूटरीकृत।
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अंतिम तौल सीधे एंड्रॉयड डिवाइस पर दर्ज, हाथ से लिखी पर्चियों की जरूरत नहीं।
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व्यापारी सुरक्षित डिजिटल आईडी से अपने भुगतान रिकॉर्ड देख और कन्फर्म कर सकते हैं।
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बिक्री की जानकारी SMS और WhatsApp से तुरंत किसान तक पहुँचती है।
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पारदर्शिता बढ़ी, कागजी काम घटा, और किसानों व मंडी संचालकों के बीच भरोसा मजबूत हुआ।
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भविष्य की दिशा
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कुमार पुरुषोत्तम का विश्वास है कि ये नवाचार आगे भी विकसित होंगे, जिससे मंडियां और पारदर्शी बनेंगी तथा किसान और ज्यादा सशक्त, जागरूक और आत्मनिर्भर होंगे।
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